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ईशादि उपनिषद् सार, (Ishaadi Upnishad Saar)
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)  
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)   (show less)
Ishaadi Upnishad Saar
Product Description

-:किताब के बारे में:-

वैदिक साहित्य का सार, सनातन चिंतन के मूलाधार और भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के उत्कृष्ट स्रोत उपनिषदों में से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नौ उपनिषद् यथा ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय और श्वेताश्वतर उपनिषद् इस पुस्तक के विषय वस्तु हैं। इन उपनिषदों में ब्रह्म तत्त्व की विषद विवेचना की गई है। ईशावास्योपनिषद् परमेश्वर को सर्वनिर्माता और सारे ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में प्रतिपादित करता है और मनुष्य को सात्विक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। कठोपनिषद् में यम और नचिकेता के प्रसिद्द संवाद द्वारा आत्म-विषयक ज्ञान का प्रतिपादन किया गया है। इसी प्रकार माण्डुक्योपनिषद् में आत्मा या चेतना की चार अवस्थाओं-जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीयका वर्णन मिलता है। इस उपनिषद् में ॐ की मात्राओं की विलक्षण व्याख्या करके जीव और विश्व की ब्रह्म से उत्पत्ति और लय एवं तीनों का तादात्म्य अथवा अभेद प्रतिपादित हुआ है।

उपनिषदों की मूल भाषा संस्कृत होने और उपलब्ध अनुवाद भी प्रायः सरल भाषा में न होने से, इस आध्यात्मिक ज्ञान के भण्डार तक जन सामान्य की पहुँच सीमित ही रही है। इस पुस्तक में इन नौ उपनिषदों के अध्यात्मिक पक्ष का सारतत्त्व मूल संस्कृत मन्त्रों के साथ सरल जन जन की भाषा में काव्यात्मक पदों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सामान्य जनों को इन उपनिषदों में निहित अमूल्य ज्ञान से परिचित कराना मात्र है। पाठ्य को सुरुचिपूर्ण और उसकी निरंतरता और तारतम्यता बनाए रखने के लिए मूल मन्त्रों का शब्दतः अनुवाद न कर इस पुस्तक में मन्त्रों के सारको ग्रहण करने का प्रयास किया गया है।

सेवानिवृत IFRS अधिकारी, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, परमसंत ठाकुर श्रीरामसिंहजी और उनकी आध्यात्मिक परम्परा के अनुयायी हैं। श्रीमद्भगवद्रीता बाइबल, कुरआन, रामायण, श्रीकृष्णचरितामृत आदि की सरल काव्यात्मक पदों में प्रस्तुति और सूफिज्म पर पुस्तकें प्रकाशित करा वे लोगों की धर्म व आध्यात्मिकता के विभित्र पक्षों में रुचि जाग्रत करने के कार्य में निरन्तर प्रयासरत हैं।

Product Details
ISBN 13 9798885752374
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 140
Edition First
Publishers Garuda Prakashan  
Category Religion & Spirituality   Literature   Vedic Upanishad Studies  
Weight 200.00 g
Dimension 15.50 x 23.00 x 2.00

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-:किताब के बारे में:-

वैदिक साहित्य का सार, सनातन चिंतन के मूलाधार और भारतीय आध्यात्मिक दर्शन के उत्कृष्ट स्रोत उपनिषदों में से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नौ उपनिषद् यथा ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय और श्वेताश्वतर उपनिषद् इस पुस्तक के विषय वस्तु हैं। इन उपनिषदों में ब्रह्म तत्त्व की विषद विवेचना की गई है। ईशावास्योपनिषद् परमेश्वर को सर्वनिर्माता और सारे ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में प्रतिपादित करता है और मनुष्य को सात्विक जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। कठोपनिषद् में यम और नचिकेता के प्रसिद्द संवाद द्वारा आत्म-विषयक ज्ञान का प्रतिपादन किया गया है। इसी प्रकार माण्डुक्योपनिषद् में आत्मा या चेतना की चार अवस्थाओं-जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीयका वर्णन मिलता है। इस उपनिषद् में ॐ की मात्राओं की विलक्षण व्याख्या करके जीव और विश्व की ब्रह्म से उत्पत्ति और लय एवं तीनों का तादात्म्य अथवा अभेद प्रतिपादित हुआ है।

उपनिषदों की मूल भाषा संस्कृत होने और उपलब्ध अनुवाद भी प्रायः सरल भाषा में न होने से, इस आध्यात्मिक ज्ञान के भण्डार तक जन सामान्य की पहुँच सीमित ही रही है। इस पुस्तक में इन नौ उपनिषदों के अध्यात्मिक पक्ष का सारतत्त्व मूल संस्कृत मन्त्रों के साथ सरल जन जन की भाषा में काव्यात्मक पदों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सामान्य जनों को इन उपनिषदों में निहित अमूल्य ज्ञान से परिचित कराना मात्र है। पाठ्य को सुरुचिपूर्ण और उसकी निरंतरता और तारतम्यता बनाए रखने के लिए मूल मन्त्रों का शब्दतः अनुवाद न कर इस पुस्तक में मन्त्रों के सारको ग्रहण करने का प्रयास किया गया है।

सेवानिवृत IFRS अधिकारी, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, परमसंत ठाकुर श्रीरामसिंहजी और उनकी आध्यात्मिक परम्परा के अनुयायी हैं। श्रीमद्भगवद्रीता बाइबल, कुरआन, रामायण, श्रीकृष्णचरितामृत आदि की सरल काव्यात्मक पदों में प्रस्तुति और सूफिज्म पर पुस्तकें प्रकाशित करा वे लोगों की धर्म व आध्यात्मिकता के विभित्र पक्षों में रुचि जाग्रत करने के कार्य में निरन्तर प्रयासरत हैं।

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ISBN 13 9798885752374
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 140
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Category Religion & Spirituality   Literature   Vedic Upanishad Studies  
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