Menu
Category All Category
छान्दोग्योपनिषद् सार, (chandyogupnishad Saar) Mool Sanskrit Mantro Sahit-Jan jan Kee Bhaasha Mein
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)  
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)   (show less)
chandyogupnishad Saar
Product Description

:किताब के बारे में:

वैदिक साहित्य के निचोड़ उपनिषदों में छान्दोग्योपनिषद् एक मुख्य उपनिषद् है। इस उपनिषद् में तत्त्वज्ञान और उसके लिए उपयोगी कर्म और उपासनाओं का विशद और विस्तृत वर्णन किया गया है। इस उपनिषद् ‌में सर्वप्रथम ॐ अक्षर की उपासना, उसके बाद स्तोभ अक्षरों की उपासना उनका महान् फल और तदुपरान्त अखण्डसाम की उपासना का वर्णन है। इस अतिश्रेष्ठ उपासना द्वारा उपासक का बहुत प्रकार से कल्याण होता है। जीव के विभिन्त्र विकारों को मिटाने के विषय में यह उपनिषद् ‌कहता है कि निष्काम कर्म द्वारा अन्तःकरण के मलिन संस्कारजन्य दोषों की निवृत्ति, उपासना द्वारा चित्त की चंचलतारूपी दोष की निवृत्ति और ज्ञान द्वारा स्वरूपविस्मृति अर्थात अज्ञानरुपी आवरण की निवृत्ति होती है।

सगुणब्रह्मकी उपासना और उसका फल ब्रह्मलोक की प्राप्ति, प्राण की उपासना, पञ्चाग्निविद्या, वैश्वानरविद्या, भूमाविद्या, और दृहराविद्या की ज्येष्ठता, श्रेष्ठता का भी इस उपनिषद् ‌में निरुपण किया गया है। इसमें कई आख्यायिकाएँ और संवाद का वर्णन है, जिन पर मनन द्वारा यह जीवात्मा ही ब्रह्म है, ऐसा प्रत्यक्ष अनुभव होने लगता है।

उपनिषदों की मूल भाषा संस्कृत होने से और उपलब्ध अनुवाद भी प्राय सरल भाषा में न होने से, इस आध्यात्मिक ज्ञान के भण्डार तक जन सामान्य की पहुँच सीमित ही रही है। इस पुस्तक में छान्दोग्योपनिषद् के सार तत्त्व को मूल संस्कृत मन्त्रों के साथ सरल जन जन की भाषा में काव्यात्मक पदों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इस प्रस्तुति का मुख्य उद्देश्य सामान्य जनों को सीधी-सरल-सरस भाषा में इन उपनिषदों में निहित अमूल्य ज्ञान से परिचित कराना मात्र है।

सेवानिवृत । RS अधिकारी, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, परमसंत ठाकुर श्रीरामसिंहजी और उनकी आध्यात्मिक परम्परा के अनुयायी हैं। श्रीमद्भगवद्रीता, बाइबल, कुरआन, रामायण, श्रीकृष्णचरितामृत आदि की सरल काव्यात्मक पदों में प्रस्तुति और सूफिज्म पर पुस्तकें प्रकाशित करा वे लोगों की धर्म व आध्यात्मिकता के विभित्र पक्षों में रुचि जाग्रत करने के कार्य में निरन्तर प्रयासरत हैं।

Product Details
ISBN 13 9798885752381
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 124
Edition First
Publishers Garuda Prakashan  
Category Hinduism   Religion & Spirituality  
Weight 150.00 g
Dimension 15.50 x 23.00 x 1.50

Add a Review

0.0
0 Reviews
Product Description

:किताब के बारे में:

वैदिक साहित्य के निचोड़ उपनिषदों में छान्दोग्योपनिषद् एक मुख्य उपनिषद् है। इस उपनिषद् में तत्त्वज्ञान और उसके लिए उपयोगी कर्म और उपासनाओं का विशद और विस्तृत वर्णन किया गया है। इस उपनिषद् ‌में सर्वप्रथम ॐ अक्षर की उपासना, उसके बाद स्तोभ अक्षरों की उपासना उनका महान् फल और तदुपरान्त अखण्डसाम की उपासना का वर्णन है। इस अतिश्रेष्ठ उपासना द्वारा उपासक का बहुत प्रकार से कल्याण होता है। जीव के विभिन्त्र विकारों को मिटाने के विषय में यह उपनिषद् ‌कहता है कि निष्काम कर्म द्वारा अन्तःकरण के मलिन संस्कारजन्य दोषों की निवृत्ति, उपासना द्वारा चित्त की चंचलतारूपी दोष की निवृत्ति और ज्ञान द्वारा स्वरूपविस्मृति अर्थात अज्ञानरुपी आवरण की निवृत्ति होती है।

सगुणब्रह्मकी उपासना और उसका फल ब्रह्मलोक की प्राप्ति, प्राण की उपासना, पञ्चाग्निविद्या, वैश्वानरविद्या, भूमाविद्या, और दृहराविद्या की ज्येष्ठता, श्रेष्ठता का भी इस उपनिषद् ‌में निरुपण किया गया है। इसमें कई आख्यायिकाएँ और संवाद का वर्णन है, जिन पर मनन द्वारा यह जीवात्मा ही ब्रह्म है, ऐसा प्रत्यक्ष अनुभव होने लगता है।

उपनिषदों की मूल भाषा संस्कृत होने से और उपलब्ध अनुवाद भी प्राय सरल भाषा में न होने से, इस आध्यात्मिक ज्ञान के भण्डार तक जन सामान्य की पहुँच सीमित ही रही है। इस पुस्तक में छान्दोग्योपनिषद् के सार तत्त्व को मूल संस्कृत मन्त्रों के साथ सरल जन जन की भाषा में काव्यात्मक पदों के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। इस प्रस्तुति का मुख्य उद्देश्य सामान्य जनों को सीधी-सरल-सरस भाषा में इन उपनिषदों में निहित अमूल्य ज्ञान से परिचित कराना मात्र है।

सेवानिवृत । RS अधिकारी, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, परमसंत ठाकुर श्रीरामसिंहजी और उनकी आध्यात्मिक परम्परा के अनुयायी हैं। श्रीमद्भगवद्रीता, बाइबल, कुरआन, रामायण, श्रीकृष्णचरितामृत आदि की सरल काव्यात्मक पदों में प्रस्तुति और सूफिज्म पर पुस्तकें प्रकाशित करा वे लोगों की धर्म व आध्यात्मिकता के विभित्र पक्षों में रुचि जाग्रत करने के कार्य में निरन्तर प्रयासरत हैं।

Product Details
ISBN 13 9798885752381
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Total Pages 124
Edition First
Publishers Garuda Prakashan  
Category Hinduism   Religion & Spirituality  
Weight 150.00 g
Dimension 15.50 x 23.00 x 1.50

Add a Review

0.0
0 Reviews
Frequently Bought Together

Garuda International

This Item: छान्दोग्योपनिषद् सार, (chandyogupnishad Saar) Mool...

$20.00

Garuda Internation...

$18.99

Choose items to buy together
छान्दोग्योपनिषद् सार, (chandyogupnishad Saar) Mool Sanskrit Mantro Sahit-Jan jan Kee Bhaasha Mein
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)  
by   Rajendra Kumar Gupta (Author)   (show less)
Verify Verified by Garuda
verified-by-garuda Verified by Garuda
$20.00
$20.00
This price includes Shipping and Handling charges
Frequently Bought Together

Garuda International

This Item: छान्दोग्योपनिषद् सार, (chandyogupnishad Saar) Mool...

$20.00

Garuda Internation...

$18.99

Choose items to buy together
whatsapp