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Mahabharat ki kahani, Vigyan Ki Jubani
Mahabharat ki kahani, Vigyan Ki Jubani
Product Description

यह पुस्तक प्राचीन भारत के इतिहास के विषय में सैंकड़ो वर्षों से बनी गलत धारणओं को दूर कर पाठकों को महाकाव्यों के युग को भारतवर्ष का वास्तविक व स्वर्णिम इतिहास मानने के लिए विवश कर देगी। इस पुस्तक में सटीक तिथियों के साथ महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है। बावन वर्षों की अवधि में देखे गए अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के आकाशीय दृश्यों के माध्यम से सिद्ध किया गया है कि महाभारत का युद्ध 3139 वर्ष ईसा पूर्व में लड़ा गया था। देखें जब श्री कृष्ण अर्जुन को मार्गशीर्ष मास में गीता का उपदेश दे रहे थे तो आकाश कैसा दिखाई दे रहा था। युद्ध से पहले कार्तिक पूर्णिमा को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर ने दिखाया चंद्रग्रहण तथा उसी कार्तिक मास की अमावस्या को दिखाई दिया सूर्यग्रहण। इस ग्रहण से केवल छः घंटे पहले सातों ग्रहों की स्थितियां सोलह नक्षत्रों के सम्बन्ध में बिल्कुल वैसी थीं जैसी महाभारत के भीष्मपर्व के अध्याय तीन में वर्णित की गई हैं। देखें कैसे पुरातात्त्विक प्रमाण खगोलीय तिथियों का समर्थन करते हैं। इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि वो मानचित्र है, जिसमें महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले सभी राज्यों की भौगोलिक स्थितियां, उन में स्थित लगभग 3000 वर्ष ईसा पूर्व की कार्बन तिथियों वाले पुरातात्त्विक स्थलों की जीपीएस प्लोटिंग के साथ दी गई है। यह मानचित्र निस्संदेह हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए विवश करता है कि हड़प्पा स्थलों के रूप में वर्णित किए जाने वाले स्थान वास्तव में महाभारत काल के वैदिक स्थल थे। भारतीय सभ्यता के विकास की प्रक्रिया 5100 वर्ष से भी पहले से निरंतर चली आ रही है। पुरावनस्पतिक अध्ययन बतातें हैं कि महाभारत में वर्णित पौधे 5000 वर्ष पहले भारत में विद्यमान थे।

19 फरवरी 3102 वर्ष ईसा पूर्व की सुबह कलियुग के प्रारंभ को दर्शाता हुआ आकाश देख कर पाठक गर्व का अनुभव कर सकते हैं कि कैसे उनके हजारों वर्ष पुराने विश्वास आज विज्ञान के माध्यम से सत्य सिद्ध हो रहे हैं।

Product Details
ISBN 13 9788190587778
Book Language Hindi
Binding Hardcover
Total Pages 508
Release Year 2022
Publishers Vision India Publications  
Category Indian History   Research   Indian Writing   Astronomy  
Weight 1,200.00 g
Dimension 18.70 x 25.00 x 3.20

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यह पुस्तक प्राचीन भारत के इतिहास के विषय में सैंकड़ो वर्षों से बनी गलत धारणओं को दूर कर पाठकों को महाकाव्यों के युग को भारतवर्ष का वास्तविक व स्वर्णिम इतिहास मानने के लिए विवश कर देगी। इस पुस्तक में सटीक तिथियों के साथ महाभारत युद्ध की महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन है। बावन वर्षों की अवधि में देखे गए अनुक्रमिक खगोलीय संदर्भों के आकाशीय दृश्यों के माध्यम से सिद्ध किया गया है कि महाभारत का युद्ध 3139 वर्ष ईसा पूर्व में लड़ा गया था। देखें जब श्री कृष्ण अर्जुन को मार्गशीर्ष मास में गीता का उपदेश दे रहे थे तो आकाश कैसा दिखाई दे रहा था। युद्ध से पहले कार्तिक पूर्णिमा को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर ने दिखाया चंद्रग्रहण तथा उसी कार्तिक मास की अमावस्या को दिखाई दिया सूर्यग्रहण। इस ग्रहण से केवल छः घंटे पहले सातों ग्रहों की स्थितियां सोलह नक्षत्रों के सम्बन्ध में बिल्कुल वैसी थीं जैसी महाभारत के भीष्मपर्व के अध्याय तीन में वर्णित की गई हैं। देखें कैसे पुरातात्त्विक प्रमाण खगोलीय तिथियों का समर्थन करते हैं। इस पुस्तक की सबसे बड़ी उपलब्धि वो मानचित्र है, जिसमें महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले सभी राज्यों की भौगोलिक स्थितियां, उन में स्थित लगभग 3000 वर्ष ईसा पूर्व की कार्बन तिथियों वाले पुरातात्त्विक स्थलों की जीपीएस प्लोटिंग के साथ दी गई है। यह मानचित्र निस्संदेह हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए विवश करता है कि हड़प्पा स्थलों के रूप में वर्णित किए जाने वाले स्थान वास्तव में महाभारत काल के वैदिक स्थल थे। भारतीय सभ्यता के विकास की प्रक्रिया 5100 वर्ष से भी पहले से निरंतर चली आ रही है। पुरावनस्पतिक अध्ययन बतातें हैं कि महाभारत में वर्णित पौधे 5000 वर्ष पहले भारत में विद्यमान थे।

19 फरवरी 3102 वर्ष ईसा पूर्व की सुबह कलियुग के प्रारंभ को दर्शाता हुआ आकाश देख कर पाठक गर्व का अनुभव कर सकते हैं कि कैसे उनके हजारों वर्ष पुराने विश्वास आज विज्ञान के माध्यम से सत्य सिद्ध हो रहे हैं।

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ISBN 13 9788190587778
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